क्या है सरदार पटेल का बोरसद का सत्याग्रह ?

क्या है सरदार पटेल का बोरसद का सत्याग्रह?

Sardars Patel's Satyagraha of Borsad?


 बोरसद का सत्याग्रह अपने ढंग का अनोखा था। वहाँ पर देवर बाबा नाम का एक जबर्दस्त डाकू बहुत लूटमार करता रहता था, पर पुलिस सब कुछ प्रयत्न करके भी उसे न पकड़ सकी। कुछ दिन बाद दूसरा डाकू, जो मुसलमान था, उसी इलाके में आ गया। अब जनता की परेशानी और भी बढ़ गई और संध्या होते ही लोग घरों के भीतर ही रहने लगे। 

तब सरकार ने जनता पर ही इल्जाम लगाया कि गाँवों के लोग ही डाकुओं से मिलकर लूटमार कराते हैं। बोरसद निवासियों पर २ लाख ४० हजार रु० टैक्स लगा दिया, जिससे वहाँ पर तैनात पुलिस का खर्च निकल सके। सरकार की इस धींगाधींगी की शिकायत कुछ लोगों ने श्री पटेल के पास जाकर की। वे बोरसद पहुँचे और वहाँ की परिस्थिति का निरीक्षण करके, लोगों को सलाह दी कि वे सरकार को एक पैसा भी टैक्स का न दें और दो सौ स्वयं सेवक भर्ती करके स्वयं अपने गाँवों में चौकी-पहरा का इंतजाम करें। 

आपने लोगों में इस बात का साहस भरा कि जब डाकू आवें तो भयभीत होकर भागने की अपेक्षा डटकर उनका मुकाबला किया जाय। दूसरी बात आपने यह की कि गाँव में रक्षा के लिए तैनात पुलिस वालों की कारगुजारी के फोटो खिंचवाये। उनसे मालूम हुआ कि जब कोई डाकू दल गाँव में आता है तो पुलिस वाले उनका मुकाबला करने के बजाय या तो छिप जाते हैं या ताला लगाकर भीतर बैठे रहते हैं। इन फोटो के द्वारा उन्होंने पुलिस की कायरता का भंडाफोड़ करके सरकार से कहा कि ऐसी हालत में उसको जनता से जुर्माना वसूल करने का क्या अधिकार है ?

 अंत में सरकार को सच्चाई के सामने झुकना ही पड़ा और गाँव से पुलिस हटा ली गई। उसके बाद देवर बाबा का भी पता नहीं लगा कि कहाँ चला गया ? 

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